गुजरे हुए साल का हिसाब


नए साल की पहली रात को ख़ुदा मेरे सपनों में आये !

ख़ुदा ने कहा - तुम्हारा पूरा साल कैसा गुजरा !
और कैसे गुजरीं तुम्हारी हसीं रातें !!

मैंने कहा - ख़ुदा तुम से छुपा तो कुछ भी नहीं !
तुम खुदा हो, तुम भगवान हो !!
तुम ही तो हो सब कुछ करने वाले !!!

खुदा ने कहा - हाँ मैं ही खुदा हूँ, मैं ही भगवान हूँ !
लेकिन कुछ तो लिख कर सुनाओ अपने प्यार के बारे में !!

प्यार शब्द सुनते ही मेरी आँखों से आँसू गये !
और सोचने लगा,
आज तो ख़ुदा भी सुलगती चिंगारी में आग लगाने आया है !!

कैसे गुजरे दिन, कैसे गुजरी रातें !
मेरे ख़ुदा सुनो मेरे गुजरे साल का हिसाब !!

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समझ नहीं आता ख़ुदा उन रातों को क्या लिखूँ ?
लेकिन मैं सोचता हूँ, जो मुझे याद है वो ही लिखूँ !!

जनवरी की इक रात उससे हुयी वो पहली मुलाक़ात याद है !
फरवरी की इक रात उससे प्यार का इज़हार करना याद है !!


मार्च की रातों में उसका वो हाथों में हाथ डाले सुनी सड़कों पर घूमना याद है !
अप्रैल की रातों में किये थे उसने जो वादे, वो वादे मुझे याद है !!

मई की रातों में उसका "किस" करने का अंदाज़ याद है !
जून की रातों में उसका चुपके - चुपके मिलना याद है !!

जुलाई की रातों में उसका बेवजह रूठना और मेरा उसको मनाना याद है !
अगस्त की जमकर बरसती रातों में उसका मेरा दिल तोडना याद है !!

सितम्बर की रातों में दोस्तों से अपना गम छुपाना याद है !
अक्टूबर की रातों में मेरी आँखों से बहते आसूँ याद याद !!

नवम्बर की रातों में केवल उसी के सपने आना याद है !
दिसम्बर की रातों में मुझे मेरी तनहाइयाँ याद है !!

तू ही बता ख़ुदा अब इस से ज्यादा प्यार और दर्द क्या होगा !
तू ही बता खुदा मुझे इससे ज्यादा याद क्या होगा !!